एपीजुएटिक अलसरेटिव सिण्ड्रोम (ई.यू.एस.)/अल्सर रोग : कारण
लक्षण:- इस महामारी के प्रारंभ में मछली की त्वचा पर जगह जगह खून के धब्बे उभरते हैं जो बाद मे चोट के गहरे घावों में तबदील हो जाते है तथा उनसे खून निकलने लगता है। चरम अवस्था में हरे लाल धब्बे बढ़ते हुए पूरे शरीर पर यहां वहां कर गहरअलसर में परिवर्तित हो जाता है। विशेष रूप से सिर तथा पूंछ के पास वाले भाग पर। पंख तथा पूंछ गल जाती है तथा अततः शीघ्र व्यापक पैमाने पर मछलियां मर कर किनारे दिखाई देने लगती है।
कारण :-
इस रोग का प्रभाव खेती की जमीन के समीपवर्ती तालाबों ज्यादा देखा गया है, जहां वर्षा के पानी में खाद,कीटनाशक इत्यादि घुलकर तालाब में प्रवेश करते है। साधरणतः कीटनाशक के प्रभाव से मछली की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। पानी में प्रदूषण अधिक होने पर अमोनिया का प्रभाव बढ़ जाता है तथा पानी में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। यह परिस्थिति इस रोग के बैक्टिरिया के लिए अनुकूल होती है, जिससे ये तेजी से बढ़ते है तथा प्रारंभ में त्वचा पर धब्बें के रूप में दिखाई दे होते हैं जो कालांतर में गहरे अलसर का रूप धारण कर लेते हैं।